ओएस्टर मशरुम को आसानी से सफलतापूर्वक अनेक प्रकार के कृषि अवशिष्टों या माध्यमों से घरों के बंद कमरों में उगाया जा सकता है। गेहूं का भूसा इसके लिए अति उत्तम माना जाता है । इसके लिये कम जगह की आवश्यकता होती है, इसकी उत्पादन तकनीक सरल व लागत बहुत कम है जिसके माध्यम से समाज का हर वर्ग इसे छोटे से बड़े रूप में उगा सकता है।
सामान्यतः गेहूँ का भूसा, सोयाबीन का भूसा धान्य फसलों के उपरोक्त कृषि अवशेष आयस्टर मशरूम की खेती के लिये सर्वोत्तम होते है इस मशरूम की उत्पादन क्षमता अन्य मशरुम की तुलना में बहुत अधिक होती है ।
उपयुक्त माध्यम (जिसमे आप इसे उगना चाहते है) का चुनाव करने के पश्चात इसे किसी जीवाणु रहित करना बहुत जी जरूरी होता है ताकि अन्य सूक्ष्म जीव जंतु निष्क्रिय हो जाए और मशरूम की फफूंद पूरे माध्यम या मिक्सचर में पूरी तरह फ़ैल सके। अन्य शुक्ष्म जीविओं की उपस्थति से मशरूम उत्पादन में परेशानी हो सकती है ।
100 लीटर पानी में 125 मिलीलीटर फ़ार्मेलिन तथा 7.5 ग्राम बाविस्टीन मिला कर घोल बनाये, उसके बाद 10 से 15 किलो सूखे माध्यम (भूसे) को अच्छी तरह से घोल में डूबा दें 4 से 6 घण्टे के लिये पालीथिन से ढँक दे। जिस से हानिकारक शुक्ष्म जीव व विषाणु नष्ट हो जाएँ । अब इस गीले हुए माध्य मसे घोल निथार दे तथा उसे पक्के ढालू फर्श पर बिछा दें ताकि भूसा आसानी से निथार जाए ध्यान रहे इसे ज्यादा भी नहीं सुखना है। इसमें नमी की मात्रा होनी चाहिए और ना ही ज्यादा गीला रखना चाहिए इसे आप हाथ से दबा कर निरिक्षण कर सकते है ।
अब इस गीले हुए माध्यम में मशरूम बीज 30 ग्राम बीज प्रति किलो भूसे की दर से मिलाये।
मशरूम स्पान या बीज मिलाने के बाद इस मिश्रण को माध्यम आकार (18"X12") की पालीथिन की थैलियों में अच्छे से दबा कर भरें, और थैली का मुँह किसी रस्सी या डोरी की सहायता से अच्छी तरह बांड लें थैलियां बाँधने के बाद सभी थालियों या बैगों के चारो तरफ और नीचे पांच से छः इंच की दूरी पर किसी पेन या लकड़ी की सहायता से छोटे छोटे छेद बना लें ताकि फ़ालतू पानी बहार निकल सके और हवा या मॉस्चर बराबर बना रहे
अब इन थैलों को किसी झोपड़ी या कमरे में लटका कर या लकड़ी के रैक बना कर रख दें ।कमरे का तापमान 20-28 डिग्री से ग्रे व मॉस्चर यानी नमी 80-85 प्रतिशत होना चाहिए। इसके लिए मॉस्चर व तापमान मीटर का उपयोग करके समय समय पर जांच करते रहना चाहिए । नमी व उचित तापमान को बनाये रखने के लिए दिन में दो तीन बार सूक्ष्म फवारे की सहायता से पानी का छिड़काव करना चाहिए ।
मशरुम उत्पादन कक्ष का दरवाजा बंद कर दें , ओएस्टर मशरूम की वृद्धि के लिये ज्यादा प्रकाश की जरूरत नहीं होती है । कार्बनडाई-आक्साइड की मात्रा झोपड़ी (कमरे) में मशरूम फफूंद के कवक जाल फैलते समय अधिक व खाने योग्य मशरूम निकलते समय कम होनी चाहिये।
अनुकूल स्थिति में थैलों को काटने के 5-6 दिन बाद से ही मशरूम का सिर(पिनहैड) दिखाई पड़ने लगता है जो 3-4। दिन बाद आकार में बढ़कर 5-10 सेमी। का हो जाता है। जब मशरूम उपयुक्त आकार के हो जाये, तब इनकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए । पूर्ण विकसित होने के बाद यह किनारों से ऊपर की ओर मुड़ने लगते है। तुड़ाई करते समय यह सावधानी बरतें की छोटे बढ़ रहे मशरूम को हानी न पहुँचे। इस प्रकार एक थैले से 3-4 बार तुड़ाई की जा सकती है। यह फसल दो महीने तक चलती है ।
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