Hydroponic खेती: विश्वस्तरीय कृषि तकनीक का भारत में अपनाने के लाभ

भारत में हाइड्रोपोनिक खेती के कई लाभ हो सकते है। यह प्रणाली बिना जमीन के कम पानी में खेती करने की सुविधा प्रदान करती है। 
आइए देखते है निम्नलिखित कुछ मुख्य लाभ:

1. पानी की बचत: 

हाइड्रोपोनिक खेती में पानी का उपयोग कम होता है, जिससे पानी की बचत होती है। इस तकनीक में सिर्फ निश्चित मात्रा में पानी प्लांट्स को पहुंचाई जाती है और निकासी होने वाली पानी को दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। इससे पानी का व्यर्थ बहाव कम होता है और कृषि में जल संसाधन की बचत होती है।

2. सतत उत्पादन: 

हाइड्रोपोनिक खेती में पौधों के लिए आदर्श माहौल बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में सभी पौधों को बराबर मात्रा में पोषक तत्वों से लाभ मिलता है, जिससे पौधों का विकास समान रूप से होता है। इससे सतत उत्पादन की संभावना बढ़ती है 

3. खाद का उपयोग और प्रदूषण का कम होना: 

हाइड्रोपोनिक खेती में खाद के उपयोग में कमी होती है क्योंकि पौधों को जरूरत के अनुसार पोषक तत्व उपलब्ध करवाए जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि पौधों के विकास के विभिन्न चरणों में किस प्रकार की सीमित मात्रा में खाद का उपयोग किया जाय और खाद का अधिक उपयोग करने से नकारात्मक प्रभावों की संभावना भी कम होती है। इसके साथ ही, हाइड्रोपोनिक खेती में उपयोग होने वाले पानी के साथ खाद का प्रदूषण भी नहीं होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है।

4. जगह की बचत: 

हाइड्रोपोनिक खेती के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। यह तकनीक खेती के लिए पहले से मौजूद जमीन की आवश्यकता को कम करती है और उच्च बंध दर वाले निर्माण के साथ छोटे इंडोर या वर्टिकल खेती को संभव बनाती है। इससे यह खेती शहरी क्षेत्रों और अपार्टमेंट्स में भी संभव होती है, जहां कम जगह होने के कारण परंपरागत खेती नहीं की जा सकती है।

5. उच्च उत्पादकता: 

हाइड्रोपोनिक खेती में पौधों को आदर्श माहौल में रखने के कारण उत्पादकता अधिक होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Contact Us

नाम

ईमेल *

संदेश *