मृदा या मिटटी के बिना बागवानी करने के
विज्ञान है। जिसे हाइड्रोपोनिक्स कहा जाता है। केवल
पानी में या
कंकड़ों के बीच
नियंत्रित जलवायु में बिना
मिट्टी के पौधे
उगाने की तकनीक
को हाइड्रोपोनिक कहते
हैं। इसे हाइड्रोपोनिक्स कृषि प्रणाली भी कहा जाता है।
इस प्रणाली में पारंपरिक बागवानी की
तुलना में कहीं
अधिक, जल्दी
व आसानी
से उच्च गुणवत्ता युक्त सब्जियां उगाई
जा सकती हैं।
हाइड्रोपोनिक शब्द की उत्पत्ति दो
ग्रीक शब्दों ‘हाइड्रो’ (Hydro) तथा ‘पोनोस
(Ponos) से
मिलकर हुई है।
हाइड्रो का मतलब है।
पानी, जबकि पोनोस
का अर्थ है
कार्य।
हाइड्रोपोनिक्स
खेती की एक आधुनिक तकनीक है। जिसका अभिप्राय पानी द्वारा खेती से है।
कम जगह होते हुए
भी एक स्थायी तरीके से हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम से बड़ी मात्रा में, स्वास्थ्यप्रद भोजन
को विकसित किया जा सकता है।
बड़े बड़े शहरों
में यह तकनीक
बहुत ज्यादा अपनाई
जा रही है।
दरअसल, बढ़ते
शहरीकरण और बढ़ती
आबादी के कारण
फसल और पौधों
के लिये जमीन
की कमी भी होती
जा रही है।
हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम में आप अपने फ्लैट
में या घर
के किसी कोने में या छत पर भी बड़े आराम से पौधे और
सब्जियाँ आदि उगा
सकते हैं। आम खेती
के मुकाबले इस
तकनीक में पढ़ने
3 गुना अधिक
पैदावार करते है
यह तकनीक
लोगों को उन
स्थानों पर भी भोजन उगाने
की क्षमता प्रदान
करता है, जहां पारंपरिक
कृषि संभव नहीं
है।
आमतौर पर हाइड्रोपोनिक्स
कृषि प्रणाली में टमाटर, मिर्च, खीरे,
लेट्यूस, पालक, बैंगन, शिमला
मिर्च, करेला आदि हर
प्रकार की सब्जियों
का उत्पादन किया
जा सकता है।
हाइड्रोपोनिक
प्रणालियों में पौधों
को विभिन्न प्रकार
से पोषक तत्व
प्रदान किये जाते
है जिसमे कार्बनिक खाद, रासायनिक
उर्वरक या कृत्रिम
विधि द्वारा तैयार
किये गए पोषक
तत्व आदि प्रमुख है।
हाइड्रोपोनिक्स कृषि प्रणाली कई फायदे
भी प्रदान करती है,
उनमें से एक है
कृषि के लिए
पानी के उपयोग
में कमी, अर्थार्थ
जहाँ साधारण खेती में
1 किलोग्राम टमाटर उगाने के
लिए 70 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, हाइड्रोपोनिक्स में
केवल 20 लीटर पानी
की आवश्यकता होती
है।
आइए, जानते हैं हाइड्रोपोनिक्स
क्या है, यह
हमारे लिये कैसे
उपयोगी हो सकती
है और हमारे
देश में कहाँ-कहाँ इसका
इस्तेमाल किया जा
रहा है।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक
का कई पश्चिमी देशों
में फसल उत्पादन के
लिये इस्तेमाल किया
जा रहा है।
हमारे देश में
भी हाइड्रोपोनिक्स तकनीक
से देश के
कई क्षेत्रों में
बिना जमीन और
मिट्टी के पौधे
उगाए जा रहे
हैं और फसलें
पैदा की जा
रही हैं। राजस्थान जैसे
शुष्क क्षेत्रों में
जहाँ चारे के
उत्पादन के लिये विपरीत
जलवायु वाली परिस्थितियाँ हैं,
उन क्षेत्रों में
यह तकनीक वरदान
सिद्ध हो सकती
है।
दूरसे शब्दों में कहें तो यह एक आधुनिक
तकनीक की खेती जिसमें पौधों की वृद्धि, उत्पादकता पोषक तत्वों, का स्तर पानी द्वारा
वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रित की जाती है।
खेती करने का यह तरीका बड़े बड़े शहरों और
महानगरों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा है और आधुनिक कृषि पद्धतियों पर भी इसका बहुत
अधिक प्रभाव पड़ा है,
पौधों की उत्तम वृद्धि और बेहतर उपज व
उत्पादन पाने के लिए पानी के साथ-साथ विशिष्ट मात्रा के दिए गए पोषक तत्त्वों द्वारा
समृद्ध किया जाता है
हाइड्रोपोनिक्स कृषि प्रणाली के कुछ बुनियादी मुख्य
प्रबंधन कार्य की निम्नलिखित है
Plant & Root Support System:- आम तौर पर हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम में, पौधे और पौधे की जड़ों को
सीधा ऊपर की और बढ़ने के लिए सहारा देने व्यवस्था की जाती है, जिसके लिए कई माध्यमों और प्लास्टिक का उपयोग किया जाता
है।
Supply of Nutrient:- एक और जहाँ पारंपरिक खेती में पौधे पानी और पोषक तत्त्वों को मिटटी
से ग्रहण करते है वहीं हाइड्रोपोनिक्स कृषि प्रणाली में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों
को पौधों तक पहुंचाया जाता है।
Supply Of Oxygen:- मृदा आधारित खेती में, पौधों को मिट्टी से ऑक्सीजन प्राप्त होता
है, परन्तु हाइड्रोपोनिक्स कृषि प्रणाली में पौधे पानी से ऑक्सीजन प्राप्त करते है यह ठीक वैसे ही है जैसे एक्वेरियम टैंक में मछलियों
के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाती है।
हम आपके पके लिए लेकर आए हैं बिलकुल ही सरल और आसान एक्सपर्ट लेबल का हाइड्रोपोनिक्स कोर्स हिंदी में । जिसके बाद आप अपना खुद का एक हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम तैयार कर सकते है ,इस ई बुक में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायता मिलेगी, की यह तकनीक क्या है और कैसे कार्य करती है । और कैसे आप आसानी से इस विधि का प्रयोग आपने घर में लाभ ले सकते है। इसमें हम आ बताएंगे के कैसे पौधों के लिए विशिष्ट पोषक घोल (खाद) तैयार किया जाता है, किन किन खादों और पोषक तत्वों की पौधों को कब जरूरत होती है , और पौधों की जरूरत के मुताबिक सही मात्रा में आप खुद आपने हाथो से इसे तैयार कर सकेंगे , दोस्तों इसके लिए लिए आपको सहयोग राशि के रूप में मात्र रु 199/- देने होंगे हाइड्रोपोनिक ई बुक डाउनलोड करें मात्र ₹199/- में